मायावती के इस दांव से बढ़ी डिंपल की मुश्किलें! भाजपा ने भी झोंकी ताकत; सपा के गढ़ में क्या बोली मैनपुरी की जनता

दिलीप शर्मा, मैनपुरी। बदहाली पर सिसकती ईशन और काली नदी वाली मैनपुरी। च्यवन ऋषि, श्रंगी ऋषि, मयन ऋषि और महर्षि मार्कंडेय की तपोभूमि मैनपुरी। पुरावशेष और समृद्धि इतिहास के लिए ख्यातिलब्ध मैनपुरी। स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों को हिलाकर रख देन

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दिलीप शर्मा, मैनपुरी। बदहाली पर सिसकती ईशन और काली नदी वाली मैनपुरी। च्यवन ऋषि, श्रंगी ऋषि, मयन ऋषि और महर्षि मार्कंडेय की तपोभूमि मैनपुरी। पुरावशेष और समृद्धि इतिहास के लिए ख्यातिलब्ध मैनपुरी। स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों को हिलाकर रख देने वाली मैनपुरी। और हां, एक पहचान और... नेता पसंद आ जाए तो लंबा साथ निभाने वाली मैनपुरी। मुलायम और सपा का गढ़ रही मैनपुरी में जबरदस्त घमासान है। दिलीप शर्मा की रिपोर्ट...

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मैनपुरी लोकसभा सीट की बात करें तो जनता की समस्याओं और मुद्दों की कोई कमी नहीं है। यहां सबसे बड़ा मुद्दा नए उद्योगों की स्थापना का है। पहले 100 से अधिक राइस मिलें हुआ करती थीं, जो अब नाम मात्र रह गई हैं। वैसे, चुनाव में यहां मुद्दे गौण हो जाते हैं और हार-जीत का पैमाना जातियों की जुगलबंदी ही बनती है। जसकरन शाक्य की बात इसे और पुख्ता करती है।

राधारमण रोड निवासी जसकरन समाज की अनदेखी की बात करते हैं। कहते हैं, ‘पहले उनके समाज से प्रत्याशी उतरते थे, परंतु इस बार किसी ने भी प्रत्याशी नहीं उतारा। ऐसे में किसी एक तरफ वोट जाता नहीं दिखता।’ अब चुनाव नजदीक है तो गोलबंदी और तेज हो चुकी है। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। उपचुनाव में सपा मुखिया सहित पूरा परिवार उनके साथ प्रचार में उतरा था, परंतु इस बार वह अकेले ही पसीना बहा रही हैं।

सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा की मानी जा रही है। भाजपा ने स्थानीय विधायक पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। वह आक्रामक तेवरों के साथ प्रचार में जुट चुके हैं। भाजपा इस बार सवर्ण और पिछड़े मतों को सहेजने के साथ यादव मतों में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव को मैनपुरी लाकर उसने अपनी रणनीति भी साफ कर दी है।

यादव मतों में सेंधमारी का यही दांव बसपा ने भी चल दिया है। बसपा ने यहां पहले गुलशन देव शाक्य को प्रत्याशी बनाया था, परंतु बाद में पूर्व विधायक शिवप्रसाद यादव को टिकट थमा दिया। शिव प्रसाद यादव कई महीनों से प्रचार में जुटे थे। वह अब बसपा के टिकट पर सीधे सपा पर यादवों की अनदेखी के आरोप लगा रहे हैं। विरोधियों की यह रणनीति सपा को भी बेचैन कर रही है।

वह भी यादव मतों को सहेजने के साथ अन्य जातियों की गोलबंदी में जुटी है। अगर पुराने पन्ने पलटें तो क्षेत्रीय दलों के उदय के बाद राजनीति जातीय समीकरणों में उलझी तो मुलायम सिंह यादव समाजवाद का बड़ा चेहरा बने। इसके बाद यह लोकसभा क्षेत्र सपा के गढ़ के तौर पर मशहूर हो गया। इसकी अहम वजह रही यहां यादव मतदाताओं की बहुलता और पिछड़ी जातियों का साथ।

वर्ष 2014 की मोदी लहर के बाद गैर यादव पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का रुझान भाजपा की तरफ गया तो उसकी भी ताकत बढ़ी। 2022 में मुलायम के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी डिंपल यादव ने सपा की विरासत को संभाला। अब फिर चुनाव का अखाड़ा सज चुका है। मुलायम तो नहीं रहे, परंतु सपा की सभाओं में उनके नारे अब भी गूंज रहे हैं।

दूसरी तरफ इस सपाई गढ़ को ढहाने के दावों के साथ भाजपा दिन-रात पसीना बहा रही है। बसपा भी मैदान में उतर चुकी है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, चुनावी ताप भी बढ़ रहा है और मुकाबले का घमासान की ओर ले जा रहा है।

क्या बोले लोग

शहर के नगला दौलत में पूर्व फौजी जसकरन सिंह, किसान रामऔतार कहते हैं ‘कोई कुछ भी कहे बदलाव दिखता है। देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाली सरकार होनी चाहिए। मोदी जैसा चेहरा दूसरी तरफ नहीं दिखता।’

किसान रामऔतार बोले, ‘किसानों के लिए तो कुछ नहीं हुआ। सम्मान निधि भी सबको नहीं मिल रही। एमएसपी पर कानून की बात कोई बुरी तो नहीं, इस पर भी सोचने वाला होना चाहिए।’ ब्रजपाल बोले, ‘क्षेत्र तो नेताजी का रहा है, परंतु अब वह कहां रहे।’

अरविंद कुमार ने उनकी बात काटी और कहा ‘विरासत का लाभ तो मिलेगा ही।’ नगर कचहरी रोड निवासी कारोबारी घनश्याम दास गुप्ता कहते हैं कि ‘चुनाव में कड़े मुकाबले के आसार दिख रहे हैं। प्रत्याशी अपनी बात कह रहे हैं, परंतु जनता मोदी-योगी को देख रही है। कानून व्यवस्था का मुद्दा व्यापारियों के लिए अहम होगा।’

करहल के गांव ककवाई निवासी सेवानिवृत्त अध्यापक चंद्रभान पांडेय ने मुलायम की विरासत की बात की। इसी विधानसभा क्षेत्र से सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक हैं। चंद्रभान पांडेय ने कहा कि नेताजी के नाते को भुलाया नहीं पा सकता। वैसे तो पूरे मैनपुरी में उनका प्रभाव था, परंतु करहल और जसवंतनगर की जनता विशेष तौर पर उनके पक्ष में रही है। नेताजी गए तो उनके बेटे-बहू ने वही रिश्ता बनाने की कोशिश की।

गांव-गांव जा रही डिंपल

इस बार भी डिंपल यादव गांव-गांव जा रही हैं। इसका असर तो होगा ही। हालांकि करहल के गांव हरवाई निवासी महेश सिंह कहते हैं कि ऐसा प्रत्याशी चुना जाए जो जनता के दुख-दर्द को समझ सके और आवश्यकता पड़ने पर उससे मिलना आसान हो। किशनी में जनसेवा केंद्र चलाने वाले विवेक चौहान कहते हैं कि प्रत्याशी भले ही जोर लगा रहा हो, परंतु जनता मोदी-योगी का चेहरा देख रही है।

ऐसा इसलिए है कि काम धरातल पर दिख रहा है। चंदरपुर निवासी गणेश शाक्य भी उनसे सहमति जताते हैं। भोगांव निवासी अरविंद कहते हैं कि यहां से हर बार भाजपा आगे रहती थी, परंतु उपचुनाव में सपा ने बढ़त बनाई थी। इस बार सब पूरी ताकत झोंक रहे हैं। पूजन सामग्री के कारोबारी विष्णु मित्र सक्सेना चुनावी माहौल के सवाल पर देश की सुरक्षा से लेकर राम मंदिर तक का मुद्दा गिनाते हैं। उनका कहना है कि मुकाबला इस बार कांटे का होगा।

जीत का रिकार्ड मुलायम सिंह यादव के नाम

यहां जीत का रिकार्ड मुलायम सिंह यादव के ही नाम है। मुलायम सिंह यादव यहां से पांच बार सांसद बने। उनके बाद सबसे ज्यादा जीत बलराम सिंह यादव के नाम हैं। बलराम सिंह यादव एक बार कांग्रेस और दो बार सपा से चुनाव जीते थे।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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